ये गोटेदार चुनरी आजा माँ ओढ़ के,
मेरे घर आजा माँ तू मंदिर को छोड़ के।।
तर्ज – ये गोटेदार लहंगा।
राम भी आए मैया लक्ष्मण भी आए है,
सीता भी आई मईया कुटिया को छोड़ के,
ये गोटेदार चुनड़ी आजा माँ ओढ़ के,
मेरे घर आजा माँ तू मंदिर को छोड़ के।।
शंकर भी आए मैया पारवती भी आई है,
गणेश भी आए मैया कैलाश को छोड़ के,
ये गोटेदार चुनड़ी निकली माँ ओढ़ के,
ये गोटेदार चुनरी आजा माँ ओढ़ के,
मेरे घर आजा माँ तू मंदिर को छोड़ के।।
राधा भी आई मईया कृष्णा भी आए है,
रुक्मणि भी आई मैया द्वारिका को छोड़ के,
ये गोटेदार चुनरी निकली माँ ओढ़ के,
ये गोटेदार चुनड़ी आजा माँ ओढ़ के,
मेरे घर आजा माँ तू मंदिर को छोड़ के।।
ये गोटेदार चुनरी आजा माँ ओढ़ के,
मेरे घर आजा माँ तू मंदिर को छोड़ के।।