कांधे पे दोनाली हो,
जोड़े में माँ काली हो,
फेर चाले चाले चाले,
बोरी अकड़ क न र।।
नहीं किसे के रोके रुकता,
एक नागे की ज्योत प झुकता,
बोतल देशी आली हो,
जोड़े में माँ काली हो,
फेर चाले चाले चाले,
बोरी अकड़ क न र।।
घोड़े का असवार कसुता,
पीर मेरा दिलदार कसुता,
पेशी झूमन आली हो,
जोड़े में माँ काली हो,
फेर चाले चाले चाले,
बोरी अकड़ क न र।।
खाकी खंडवा तुरा छोड़या,
धरे बेरी की नाड प गोड़ा,
चाले चाल निराली हो,
जोड़े में माँ काली हो,
फेर चाले चाले चाले,
बोरी अकड़ क न र।।
काली की किलकार पडेजा,
अशोक भगत नये छंद घड़े जा,
सिर पे पीर रुखाली हो,
जोड़े में माँ काली हो,
फेर चाले चाले चाले,
बोरी अकड़ क न र।।
कांधे पे दोनाली हो,
जोड़े में माँ काली हो,
फेर चाले चाले चाले,
बोरी अकड़ क न र।।
गायक – मुकेश जी शर्मा।
प्रेषक – दीपक सोनी।
9255910203