जयपुर का गोविन्द देव जी राधा और रुक्मण ने ल्याजे लेर जी

जयपुर का गोविन्द देव जी,
राधा और रुक्मण ने ल्याजे लेर जी।।



मोरमुकुट घनश्याम सांवरा,

अंग वस्त्र पीताम्बर,
पांच बज़्या की मंगल झांकी,
होवे मंदिर अंदर,
थारे पिसा हाला सेठ,
आवे छ महिमा गावे जोर की,
जयपुर का गोविंद देव जी,
राधा और रुक्मण ने ल्याजे लेर जी।।



बांया हाथ में राधा खड़ी,

दांया हाथ मे रुक्मण,
धूप और श्रृंगार आरती,
राजभोग में मक्खन,
थारे मोटी मोटी सेठाण्या,
दंडोत लगावे लेट जी,
जयपुर का गोविंद देव जी,
राधा और रुक्मण ने ल्याजे लेर जी।।



सेठा को तू सेठ सावँरा,

सांवलियो घनश्याम,
ग्वाल आरती संध्या आरती,
आवे लोग तमाम,
थारे अंगेज आवे छ गोरा गोरा,
नाचे ठुमका देर जी,
जयपुर का गोविंद देव जी,
राधा और रुक्मण ने ल्याजे लेर जी।।



भूल बिसर मत जाजो कान्हा,

हे द्वारकानाथ,
‘भवानी गुर्जर’ गावे राधा,
रुक्मण ल्याजो साथ,
तू नारायण मुरली वाळो,
सुण द्वारकाधीश जी,
जयपुर का गोविंद देव जी,
राधा और रुक्मण ने ल्याजे लेर जी।।



जयपुर का गोविन्द देव जी,

राधा और रुक्मण ने ल्याजे लेर जी।।

गायक – भवानी सिंह गुर्जर।
09929990990


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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