अगर किस्मत से ऐ मेरे श्याम,
तेरा दीदार हो जाए,
तो ये ‘लख्खा’ चरण में आपके,
बलिहार हो जाए,
तो ये सेवक चरण में आपके,
बाबा बलिहार हो जाए।।
तर्ज – अगर दिलबर की रुसवाई।
सुना है अपने भक्तो की,
तुम्ही इज्जत बचाते हो,
कठिन से भी कठिन संकट,
को खाटु वाले हटाते हो,
दया की इक नजर मुझ पर,
भी अब दातार हो जाए,
तो ये बालक चरण में आपके,
बाबा बलिहार हो जाए।।
दया की दृष्टि ऐ मेरे श्याम,
अगर हम पर भी उठा दो तुम,
जो अपनी प्रेम की बंसी,
का बस अमृत पीला दो तुम,
तो सूखे बाग़ दिल के फिर,
गुले गुलजार हो जाए,
तो ये सेवक चरण में आपके,
बाबा बलिहार हो जाए।।
हमारे पास कुछ युक्ति नहीं,
तुमको रिझाने की,
न कोई चीज है ऐसी,
प्रभु सेवा में लाने की,
नजर इक बार कर दो तो,
ये बेडा पार हो जाए,
तो ये सेवक चरण में आपके,
बाबा बलिहार हो जाए।।
भला है या बुरा लख्खा,
मगर बालक तुम्हारा है,
तुम्हारे ही चरण रज का,
इस ‘शर्मा’ को सहारा है,
अगर विनती ये खाटूवाले को,
स्वीकार हो जाए,
तो ये बालक चरण में आपके,
बाबा बलिहार हो जाए।।
अगर किस्मत से ऐ मेरे श्याम,
तेरा दीदार हो जाए,
तो ये ‘लख्खा’ चरण में आपके,
बलिहार हो जाए,
तो ये सेवक चरण में आपके,
बाबा बलिहार हो जाए।।