कोख में ना मारे,
आवन दे संसार में,
मात मेरी सुनले,
अर्ज करूँ दरबार में।।
बासी सुखी रोटी खा के,
कर ल्यूंगी गुजारा माँ,
जिसा देवेगी उसा पहर ल्यू,
टोकुगी दोबारा ना,
मन्ने आवण दे इस जग में,
मत ना जुलम करे मेरे तन में,
हाथ जोड़ के कहरी मै,
मात मेरी सुनले,
अर्ज करूँ दरबार में।।
लाड़ करुँगी भाई के,
कदे भी दुख त ना राखु,
पोची बाँध के भाई क,
उम्र तेरी की दुआ मांगू,
स या भाई ने बाहण प्यारी,
मत ना करे तू इस त न्यारी,
इतना तू कहन पूगा दे न,
मात मेरी सुनले,
अर्ज करूँ दरबार में।।
छह महीने की होगी पूरी,
ईब क्यों मन मै आई से,
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ,
कड़े तक या सचाई से,
मेरे कुछ ना समझ मै आरी,
करदी अपनी कोख ते न्यारी,
कपिल ने तू समझा दे न,
मात मेरी सुनले,
मात मेरी सुनले,
अर्ज करूँ दरबार में।।
कोख में ना मारे,
आवन दे संसार में,
मात मेरी सुनले,
अर्ज करूँ दरबार में।।
गायक / लेखक – कपिल सैनी।
9896019195