भजना बिन भुंडो लागे रे एलो मनक जमारो लिरिक्स

भजना बिन भुंडो लागे रे,
एलो मनक जमारो,
एलो मनक जमारो यो,
फिको मनक जमारो,
भजना बिन भुंडो लागे रै,
एलो मनक जमारो।।



पान फूल बिन तरुवर सुनो,

गाज बिना चिनगारो,
हंस कमल बिन सागर सुनो,
हंस कमल बिन सागर सुनो,
बिना नीर नदी नालों,
भजना बिन भुंडो लागे रै,
एलो मनक जमारो।।



बिना चंद्रमा रात अधूरी,

बिना दीपक अंधियारो,
पिया बिना पतिव्रता सुनी,
पिया बिना पतिव्रता सुनी,
सुनो सब सीनगारो,
भजना बिन भुंडो लागे रै,
एलो मनक जमारो।।



बिना ज्ञान के विरथा जीनों,

झूठों सकल पसारो,
गुड़ बिन फीको भात,
मात बिन फीको सब संसारो,
भजना बिन भुंडो लागे रै,
एलो मनक जमारो।।



नारी बिन घरबार सुना,

बिना पुत्र परिवारों,
भैरव भाव बिन भक्ति सुनी,
भक्त बिना करतारो,
भजना बिन भुंडो लागे रै,
एलो मनक जमारो।।



भजना बिन भुंडो लागे रे,

एलो मनक जमारो,
एलो मनक जमारो यो,
फिको मनक जमारो,
भजना बिन भुंडो लागे रै,
एलो मनक जमारो।।

गायक – युवराज वैष्णव।
प्रेषक – बालाजी टेलर गोपाल पूरा।
नंगजी राम धाकड़। 9799285289


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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