सुर बीना पुगे नाय,
मारग थक जाता,
सुन में पुगें साध,
भाग्यफल पाता है वो जी।।
कण्ठ कवल के माई,
सरस्वती माता,
करे भजन टकसाल,
वचन फरमाता है वो जी।।
वठे शिव शक्ति मिल दोय,
अमी बरसाता,
पीवें संत सुजान,
अमर होय जाता है वो जी।।
नूगरां पीवें ना जहर,
पीवतं मर जाता,
पीवें संत सुजान,
मोक्ष फल पाता है वो जी।।
गुरू मलिया मच्छिन्दर नाथ,
वचन फरमाता,
बोल्या रे गोरखनाथ,
चरण पद पाता है वो जी।।
सुर बीना पुगे नाय,
मारग थक जाता,
सुन में पुगें साध,
भाग्यफल पाता है वो जी।।
गायक – जगदीश चन्द्र जटिया।
प्रेषक – श्री धर्मराज बावजी स्टुडियो।
मावली उदयपुर राजस्थान।
मोबाइल 9950647154