आजा मानव सत्संग में सत्संग में आनंन्द आवे जी

आजा मानव सत्संग में,

दोहा – एक घड़ी आधी घड़ी,
आधी में पुनियाध,
तुलसी सत्संग साध की,
कटे करोड़ अपराध।



आजा मानव सत्संग में,

सत्संग में आनंन्द आवे जी।।



संत समागम निशदिन किजे,

विश को छोड अमीरस पिजे,
फिर अजर अमर हो जावे रे,
आजा मानव सत्संग मे।।



नीच गलिया का गंदा पानी,

गंगा मिलया होवे गंग समानी,
फिर नीर गंगाजल ल्यावे रे,
आजा मानव सत्संग मे।।



गौ वध छुरी लोहा पलटावे,

पारस के संग सोना बण जावे,
फिर जीव ब्रह्म हो जावे रे,
आजा मानव सत्संग मे।।



जन्म सुधारण सत्संग गंगा,

नहावे सो हो जावे चंगा,
सुखसागर जाई समावे रे,
आजा मानव सत्संग मे।।



नित्यप्रकाश केवे सत्संग करले,

भवसागर से पार उतर ले,
फिर सेज परम पद पावे रे,
आजा मानव सत्संग मे।।



आजा मानव सत्संग मे,

सत्संग में आनंन्द आवे जी।।

गायक – मनोहर परसोया।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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