ठाकुर जी विराजे ओ बाडिया के मायने

ठाकुर जी विराजे ओ,
बाडिया के मायने,
आवे भगता की भिड़ अपार,
कारज सारो आईने।।



सीकर मंदिरयो है,

ठाकुर जी को जोर को,
अरे थारे चमक रिया हे काच,
मंदिर के मायने।।



मूरत मनोहर हे,

गणी वो लागे जोर की,
बैठा द्वारिका रा नाथ,
द्वारिका सु आइने।।



गावा गावा के माय,

ठाकुरजी जावे पावना,
अरे गना नाचे रे उड़ावे गुलाल,
बंदौली के मायने।।



हर पूनम नेे वो,

गणा तो आवे जातरी,
सब मिट जावे दुःख संताप,
सरण पड़े आयने।।



भोग लगावे वो,

छपन भोग को,
करे भगत प्रसादिया अपार,
दुरासु थारे आयने।।



नरेश प्रजापत वो,

सरण मे आवियो,
शम्भू कुमावत भजन सुनाय,
भेरूखेड़ा सु आयने।।



ठाकुर जी विराजे ओ,

बाडिया के मायने,
आवे भगता की भिड़ अपार,
कारज सारो आईने।।

गायक – नरेश प्रजापत।
प्रेषक – शंभू कुमावत दौलतपुरा।
9981101560


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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