उन घर जाजे बैरन नींद जिन घर राम नाम नहीं भावे

उन घर जाजे बैरन नींद,

दोहा – कहे संत सगराम,
अब भजन किस विध होय,
गले पड़ी जण सुरडया,
म्हारे लारे लागी दोय,
लारे लागी दोय सुणो,
कुण कुण रे भाई,
दिन री तो बातां करे,
रात ने नींद आई,
इन दोन्या रै कारणे,
मैं जमारो दियो खोय,
कहे संत सगराम,
अब भजन किस विध होय।



उन घर जाजे बैरन नींद,

जिन घर राम नाम नहीं भावे।।



के तो ज्याजे राज द्वारे,

का रसिया रस भोगी,
म्हारो लारो छोड़ बावली,
म्हे हूँ रमतो जोगी,
उण घर ज्याई ज्ये बैरण निंद,
जिण घर राम नाम नहीं भावे।।



ऊँचे मन्दिर बैठ सखी री,

कामणी चँवर ढुलावे,
म्हारे संग काँई लेवे बावळी,
राख़ में दुःख पावे,
उण घर ज्याई ज्ये बैरण निंद,
जिण घर राम नाम नहीं भावे।।



भरी सभा में झूठो बोले,

निंदा करे पराई,
वो घर हमने तुझको सौंपा,
ज्याई जे बिना बुलाई,
उण घर ज्याई ज्ये बैरण निंद,
जिण घर राम नाम नहीं भावे।।



अमल तम्बाकू भांग धतूरा,

पिए खारो पाणी,
उन घर जाजे ख़ुशी मनाजे,
बन जाजे पटरानी,
उण घर ज्याई ज्ये बैरण निंद,
जिण घर राम नाम नहीं भावे।।



कहे भरतरी सुण म्हारी निंदरा,

यहाँ नहीं तेरा वासा,
राज छोड़ ने लीवी फ़कीरी,
राम मिलन री आशा,
उण घर ज्याई ज्ये बैरण निंद,
जिण घर राम नाम नहीं भावे।।



उण घर जाजे बैरन नींद,

जिन घर राम नाम नहीं भावे।।

गायक – राजु जी महाराज।
Upload – Rajendra bhai vanjara
9328986289


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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