कान्हा रे मेरा सांवरा,
तेरा हूँ,
तेरा हूँ मैं तेरा ही रहूंगा,
दिल में नाम तुम्हारा है,
ओ कान्हा कान्हा कान्हा कान्हा।।
तर्ज – आजा रे ओ मेरे दिलबर।
प्रेम का धागा तुम संग बांधा,
तुमने साथ निभाया है,
आकर मुझको गले लगाया,
जब भी मन घबराया है,
तेरा हूं,
तेरा हूं मैं तेरा ही रहूंगा,
दिल में नाम तुम्हारा है,
ओ कान्हा कान्हा कान्हा कान्हा।।
आज अगर मैं खुश हूँ कान्हा,
यह एहसान तुम्हारा है,
पकड़ा हुआ है हाथ ये मेरा,
इसमें प्यार तुम्हारा है,
तेरा हूं मैं तेरा ही रहूंगा,
दिल में नाम तुम्हारा है,
ओ कान्हा कान्हा कान्हा कान्हा।।
तू ही नैया तू ही मांझी,
तू पतवार किनारा है,
तूफां हो या हो या आंधी,
आके तुमने संभाला है,
तेरा हूं मैं तेरा ही रहूंगा,
दिल में नाम तुम्हारा है,
ओ कान्हा कान्हा कान्हा कान्हा।।
बांह पकड़ कर रखना कान्हा,
दूर नहीं खुद से करना,
अपने ही चरणों में रखना ‘दिलीप’ को,
अर्ज़ यही तुमसे करना,
तेरा हूं मैं तेरा ही रहूंगा,
दिल में नाम तुम्हारा है,
ओ कान्हा कान्हा कान्हा कान्हा।।
कान्हा रे मेरा सांवरा,
तेरा हूँ,
तेरा हूँ मैं तेरा ही रहूंगा,
दिल में नाम तुम्हारा है,
ओ कान्हा कान्हा कान्हा कान्हा।।
गायक – अभिजीत सक्सेना।
लेखक – दिलीप अग्रवाल (कासगंज)
8077125279