ऐड़ा संतो रा लेऊ वारणा,
म्हारी हेली,
ओ मन घणो ही सवाय हेली,
ओ मन घणो ही सवाय।।
पर उपकरी संत है म्हारी हेली,
करे जीवो रो उद्धार हेली,
करे जीवो रो उद्धार,
पर कारण दुख सहत है म्हारी हेली,
मारे शब्दों रा बाण हेली,
मारे शब्दों रा बाण,
ऐड़ा संतों रा लेऊ वारणा,
म्हारी हेली,
ओ मन घणो ही सवाय हेली,
ओ मन घणो ही सवाय।।
मिथ्या मुख बोले नहीं म्हारी हेली,
नहीं उपजे दुर्भाव ज्यारे,
नहीं उपजे दुर्भाव,
शील संतोष ज्यारे घट,
बसे म्हारी हेली,
अंदर समता रो भाव ज्यारे,
अंदर समता रो भाव,
ऐड़ा संतों रा लेऊ वारणा,
म्हारी हेली,
ओ मन घणो ही सवाय हेली,
ओ मन घणो ही सवाय।।
भेदभाव ज्यारे है नहीं म्हारी हेली,
मारे शब्दों रा बाण हेली,
मारे शब्दों रा बाण,
शूरा सन्मुख सहत है म्हारी हेली,
कायर तज दे प्राण हेली,
कायर तज दे प्राण,
ऐड़ा संतों रा लेऊ वारणा,
म्हारी हेली,
ओ मन घणो ही सवाय हेली,
ओ मन घणो ही सवाय।।
आपा मिटावे जीव का म्हारी हेली,
हिरदा में करे रे उजास हेली,
हिरदा में करे रे उजास,
कहे कबीर सा वो ही संत,
है म्हारी हेली,
साहिब रो अवतार हेली,
साहिब रो अवतार,
ऐड़ा संतों रा लेऊ वारणा,
म्हारी हेली,
ओ मन घणो ही सवाय हेली,
ओ मन घणो ही सवाय।।
ऐड़ा संतो रा लेऊ वारणा,
म्हारी हेली,
ओ मन घणो ही सवाय हेली,
ओ मन घणो ही सवाय।।
स्वर – संत श्री रामप्रसाद जी महाराज।
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