हम राजन की लाड़ली,
और तुम राजन के लाल,
घुमाई बंहिया डारति काहे नाय।।
हम तालन की माछरी,
और तुम कहरन के लाल,
घुमाई जाल डारति काहे नाय।।
हम जंगल की हीरनी,
और तुम क्षत्रिन के लाल,
घुमाई बाण मारति काहे नाय।।
हम राजन की लाड़ली,
और तुम राजन के लाल,
घुमाई बंहिया डारति काहे नाय।।
सरस कथावाचक – शुभम् शास्त्री।
8081654490