कैसो खेल रच्यो मेरे दाता जित देखू उत तू ही तू भजन लिरिक्स

कैसो खेल रच्यो मेरे दाता,
जित देखू उत तू ही तू,
कैसी भूल जगत मै डारी,
साबित करणी कर रहयो तू।।



नर नारी में एक ही कहीए,

दोय जगत में दर्शे तू,
बालक होय रोवण ने लाग्यो,
माता बन पुचकारे तू,
कैसो खेल रचायो मेरे दाता,
जित देखू उत तू ही तू।।



कीड़ी में छोटो बन बैठयो,

हाथी में है मोटो तू,
होय मगन मस्ती में डोले,
माहवत बन के बैठयो तू,
कैसो खेल रचायो मेरे दाता,
जित देखू उत तू ही तू।।



राजघरा में राजा बन बैठयो,

भिखयारी में मंगतो तू,
होय मगन मस्ती में डोले,
माहवत बन के बैठयो तू,
कैसो खेल रचायो मेरे दाता,
जित देखू उत तू ही तू।।



देवल में देवता बन बेठ्यो,

पूजा करण पुजारी तू,
चोरी करे जब बाजे चोरटो,
खोज करन मै खोजी तू,
कैसो खेल रच्यो मेरे दाता,
जित देखू उत तू ही तू।।



राम ही करता राम ही भरता,

सारो खेल रचायो तू,
कहत कबीर सुनो भई साधो,
उलट खोज कर पायो तू,
होय मगन मस्ती में डोले,
माहवत बन के बैठयो तू,
कैसो खेल रच्यो मेरे दाता,
जित देखू उत तू ही तू।।



कैसो खेल रच्यो मेरे दाता,

जित देखू उत तू ही तू,
कैसी भूल जगत मै डारी,
साबित करणी कर रहयो तू।।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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