आई कीर्तन की या रात,
थाने आणो पड़सी,
बाबोसा आणो पड़सी,
थारे भक्ता ने दर्श,
दिखाणो पडसी बाबोसा,
भक्ता ने दर्श,
दिखाणो पडसी।।
घ्रर आँगण म्हे खूब सजाया,
तोरण द्वार बंधाया,
प्यारी प्यारी रंगोली बणाकर,
दिपक है प्रगटाया,
बाबोसा भक्ता रो मान,
बढ़ाणो पड़सी,
बाबोसा आणो पड़सी,
भक्ता ने दर्श,
दिखाणो पडसी।।
भाँत भांत रा फूलडा मंगाकर,
थारो दरबार सजायो,
पावन ज्योत जगाकर बाबा,
छप्पन भोग लगायो,
थाने चूरू धाम सु बाबोसा,
आणो पड़सी,
बाबोसा आणो पड़सी,
भक्ता ने दर्श,
दिखाणो पडसी।।
मंजू बाईसा रा हिवड़े विराजो,
जाणे दुनिया सारी,
बाईसा में ही दिखलादो,
छवि आपरी प्यारी,
थाने हनुमंत सो रूप,
दिखाणो पड़सी,
बाबोसा आणो पड़सी,
भक्ता ने दर्श,
दिखाणो पडसी।।
थासुं बंधी है आस री डोरी,
म्हाने धीर बंधाओ,
आ जाओ बाबोसा,
अब क्यो कर देर लगाओ,
‘दिलबर; थाने यो कोल,
निभाणो पड़सी,
बाबोसा आणो पड़सी,
भक्ता ने दर्श,
दिखाणो पडसी।।
आई कीर्तन की या रात,
थाने आणो पड़सी,
बाबोसा आणो पड़सी,
थारे भक्ता ने दर्श,
दिखाणो पडसी बाबोसा,
भक्ता ने दर्श,
दिखाणो पडसी।।
गायिका – नम्रता करवा कोठारी मुम्बई।
लेखक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन म.प्र. 9907023365