बीरा दो दिन को मेहमान आखिर जाना पड़ेला रे

बीरा दो दिन को मेहमान,
आखिर जाना पड़ेला रे।।



दुर्लभ जन्म अमोलक भाय,

कर कुछ पुरुषार्थ चित लाय,
क्यों तन को देख रहा इतराय,
जो माटी माय सडेला रे,
बीरा दो दिन को मेंहमान,
आखिर जाना पड़ेला रे।।



मोह में रहा रात दिन दौड़,

कर चाहे संचित लाख करोड़,
मुजी मर जासी धन जोड़,
फिर पाछे कुटुंब लड़ेला रे,
बीरा दो दिन को मेंहमान,
आखिर जाना पड़ेला रे।।



जिन्हें तू अपना माने यार,

कहां तेरा कर्म भोग हकदार,
जरा तू क्यों नहीं करें विचार,
नहीं कोई भीड़ चढ़ेला रे,
बीरा दो दिन को मेंहमान,
आखिर जाना पड़ेला रे।।



कर मनमानी जन्म तू एक,

जो भुगतेला जन्म अनेक,
भारती पूरण तज दे टेक,
हाड यमदूत घड़ेला ले,
बीरा दो दिन को मेंहमान,
आखिर जाना पड़ेला रे।।



बीरा दो दिन को मेहमान,

आखिर जाना पड़ेला रे।।

गायक – पुरण भारती जी महाराज।
Upload By – Aditya Jatav
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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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