प्रितम पायो रे काया में आत्म अजर अमर भरतार लिरिक्स

प्रितम पायो रे काया में,

दोहा – पूरण भेंट लिया गुरु पूरण,
पूरण बोध भया अज मोई,
पूरण की पहचान भई तब,
पूरण से मिल पूरण होई।
पूरण है आत्म परमात्म,
जाने अभेद मिटे भ्रम जोई,
ज्ञान दियो गुरु चेतन भारती,
बंधन भारती पूरण खोई।



प्रितम पायो रे काया में,

आत्म अजर अमर भरतार।।



आत्म दृष्टता दे दृश्य का,

अचल अखंड आधार,
रूप वर्ण रेखा नहीं जिसके,
सुध चेतन अविकार,
प्रितम पायो रे काया मे,
आत्म अजर अमर भरतार।।



सच्चिदानंद स्वरूप साक्षी,

पूर्ण ब्रह्म अपार,
अल्लाह अलख रब वही जिवेश्वर,
राम खुदा करतार,
प्रितम पायो रे काया मे,
आत्म अजर अमर भरतार।।



परमानंद प्रीतम को पर सत,

जान्यो जगत असार,
सुख स्वरूप सेज में पोढत,
भूल गई संसार,
प्रितम पायो रे काया मे,
आत्म अजर अमर भरतार।।



चेतन भारती गुरु शरणागत,

पाया ब्रह्म विचार,
भारती पूरण अपने आप में,
अनुभव मस्त दीदार,
प्रितम पायो रे काया मे,
आत्म अजर अमर भरतार।।



प्रितम पायों रे काया में,

आत्म अजर अमर भरतार।।

गायक – पुरण भारती जी महाराज।
Upload By – Aditya Jatav
8824030646


Previous articleभजन कर नर स्वांसों की काया अचानक देगी धोखा रे लिरिक्स
Next articleकागज मंड गयो रे कर्मा को अब तेरो कैसे मिटे दुखड़ों लिरिक्स
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here