मन मोहन दी बन के दीवानी,
मैं छम छम नचदी फिरा,
मैं छम छम नचदी फिरा,
ओहदे प्रेम विच हुई मस्तानी,
मैं छम छम नचदी फिरा,
मैं छम छम नचदी फिरा।bd।
हो गयी मैं प्रीतम दी कमली,
लोकी मैनू आखन पगली,
जदो वेखी मैं सूरत नूरानी,
मैं छम छम नचदी फिरा,
मैं छम छम नचदी फिरा।bd।
जग विच मैनू कोई ना जचदा,
हर वेले करां श्याम दा सजदा,
सारी दुनिया तो हुई बेगानी,
मैं छम छम नचदी फिरा,
मैं छम छम नचदी फिरा।bd।
छड दीती सब रिश्तेदारी,
‘चित्र विचित्र’ दे बांके बिहारी,
ओहदे नाल मेरी प्रीत पुरानी,
मैं छम छम नचदी फिरा,
मैं छम छम नचदी फिरा।bd।
मन मोहन दी बन के दीवानी,
मैं छम छम नचदी फिरा,
मैं छम छम नचदी फिरा,
ओहदे प्रेम विच हुई मस्तानी,
मैं छम छम नचदी फिरा,
मैं छम छम नचदी फिरा।bd।
स्वर – बाबा श्री चित्र विचित्र जी महाराज।