गोविंद मेरो है गोपाल मेरो है,
दोहा – क्या छवि सांवरे प्रीतम की,
मन जात चला हटके हटके
मुखचन्द्र छटा पे बलिहारी,
शत चंद्र फिरे भटके भटके।
बनमाल की सुन्दर लटकन पे,
ऋतुराज रहे लटके लटके,
अधरामृत प्याला छलका दो प्यारे,
हम पीया करे गटके गटके।
गोविंद मेरो है गोपाल मेरो है,
जय जय बांके बिहारी नंदलाल मेरो है।।
जाके सिर पे मुकुट विराजे,
कानन में कुंडल छवि साजे,
चंदा सा मुखड़ा ये गोपाल मेरो है,
गोविंद मेरो हैं गोपाल मेरो हैं,
जय जय बांके बिहारी नंदलाल मेरो है।।
कजरारी अखियां मन मोहे,
अलकावली कपोलन सोहे,
बोलत वचन रसाल मेरो है,
गोविंद मेरो हैं गोपाल मेरो हैं,
जय जय बांके बिहारी नंदलाल मेरो है।।
मुरली अधर धरे बनवारी,
बाजूबंद भुजन छवि न्यारी,
बंसी बजैया गोपाल मेरो है,
गोविंद मेरो हैं गोपाल मेरो हैं,
जय जय बांके बिहारी नंदलाल मेरो है।।
चरनन में नूपुर झनकारी,
नंद जसोदा अजीर बिहारी,
दीनन पर सदा ये दयाल मेरो है,
गोविंद मेरो हैं गोपाल मेरो हैं,
जय जय बांके बिहारी नंदलाल मेरो है।।
गोविंद मेरो हैं गोपाल मेरो हैं,
जय जय बांके बिहारी नंदलाल मेरो है।।
स्वर – श्री गोविन्द भार्गव जी।
प्रेषक – ऋषि विजयवर्गीय।
7000073009