अम्बे जगदम्बे आये,
तुम्हरी दुअरिया।
दोहा – बाबा बाबा सब कहें,
माई कहे ना कोय,
बाबा के दरबार में,
माई करे सो होय।
अम्बे जगदम्बे आये,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे,
काली महाकाली,
ले लो हमरी खबरिया,
दर से ना टालना रे,
ओ माता रानी,
अम्बे जगदम्बें आये,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे।।
महिषासुर दानव बलशाली,
दुर्गा से बन गई,
अम्बे मां काली-2,
दुष्ट जनों को,
मैया ने मारा,
भक्तों को तारना रे,
ओ माता रानी,
अम्बे जगदम्बें आये,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे।।
रण में चली मां लेके दुधारी,
लट बिखराये करे,
सिंघा सवारी-2,
शुंभ निशुंभ जो,
लड़ने को आये,
रण में पछाड़ना रे,
ओ माता रानी,
अम्बे जगदम्बें आये,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे।।
हाथों में खप्पर,
नैनों में ज्वाला,
पहने गले में,
मुण्डों की माला-2,
क्रोध की अग्नि,
शीतल भई जब,
शिवजी का सामना रे,
ओ माता रानी,
अम्बे जगदम्बें आये,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे।।
‘पदम’ है मां के,
दर का भिखारी,
मैया हरो हर,
विपदा हमारी-2,
करुणामयी मां,
थोड़ी सी ममता,
झोली में डालना रे,
ओ माता रानी,
अम्बे जगदम्बें आये,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे।।
अम्बे जगदम्बे आए,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे,
काली महाकाली,
ले लो हमरी खबरिया,
दर से ना टालना रे,
ओ माता रानी,
अम्बे जगदम्बें आये,
तुम्हरी दुअरिया,
दर से ना टालना रे।।
लेखक / प्रेषक – डालचंद कुशवाह “पदम”
9727624524