बाबोसा भगवान का,
ये दरबार है,
हो बाबा तेरे ही भरोसे,
मेरा परिवार है।।
चाहे डुबो दे चाहे तिरादे,
मेरे जीवन की नैय्या,
तेरे हाथ मेरी पतवार,
बाबोसा ही खिवैया,
मेरी कस्ती पड़ी,
बीच मझधार है,
हो बाबा तेरे ही भरोसे,
मेरा परिवार है।।
तेरी कृपा मिल जाये हमको,
करदो ऐसी महर,
फिर ना कोई चिंता हमको,
ना ही कोई फिकर,
इतना सा कर दो,
हमपे उपकार है,
हो बाबा तेरे ही भरोसे,
मेरा परिवार है।।
भक्त तुम्हारे द्वार खड़े है,
करदो वारे न्यारे,
माँ छगनी के नंदन हरपल,
हमतो तुम्हे पुकारे,
‘दिलबर’ की छोटी,
सी दरकार है,
हो बाबा तेरे ही भरोसे,
मेरा परिवार है।।
बाबोसा भगवान का,
ये दरबार है,
हो बाबा तेरे ही भरोसे,
मेरा परिवार है।।
गायिका – ललिता मुखर्जी मुम्बई।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
9907023365