चरण पड़े को शरण में रखे,
करदे बेड़ा पार,
राम सम नहीं कोई और उदार,
राम सम नहीं कोई और उदार।।
मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभुवर,
करते सदा कृपा करुणाकर,
गीध को लेकर गोद में अपनी,
किया अंतिम संस्कार,
राम सम नही कोई और उदार।।
बड़ा दयालु है रघुनंदन,
कर में धनु और सोहे चन्दन,
चरण धुलाये केवट घर जा,
और किया उद्धार,
राम सम नही कोई और उदार।।
क्षमावान नही इन सा कोई,
दयावान नही इन सा कोई,
‘राजेन्द्र’ श्रापित नार अहिल्या,
को हरि दीन्हे तार,
राम सम नही कोई और उदार।।
चरण पड़े को शरण में रखे,
करदे बेड़ा पार,
राम सम नहीं कोई और उदार,
राम सम नहीं कोई और उदार।।
गीतकार / गायक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।