बड़ा सुन्दर सजा है दरबार,
आजा होके लीले पे असवार।।
देखो गणपत जी बैठे आसन जमा के,
और हनुमंत जी बैठे पहरा लगा के,
आये सालासर सरकार,
हो आजा होके लीले पे असवार,
बड़ा सुंदर सजा है दरबार,
आजा होके लीले पे असवार।।
हो देखो नारद जी बैठे वीणा बजाए,
और ज्वाला मैया बैठी है ज्योति जगाएं,
कहां रह गए लखदातार,
हो आजा होके लीले पे असवार,
बड़ा सुंदर सजा है दरबार,
आजा होके लीले पे असवार।।
देखो सुन्दर बड़ा दरबार सजाया,
और भक्तो ने छप्पन भोग मंगाया,
तुम आके करो स्वीकार,
हो आजा होके लीले पे असवार,
बड़ा सुंदर सजा है दरबार,
आजा होके लीले पे असवार।।
बाबा भक्त तेरे तेरा रास्ता देखे,
शीश झुकाए और माथा टेके,
तेरा ‘सिंगला’ करे इंतजार,
हो आजा होके लीले पे असवार,
बड़ा सुंदर सजा है दरबार,
आजा होके लीले पे असवार।।
बड़ा सुन्दर सजा है दरबार,
आजा होके लीले पे असवार।।
गायक / प्रेषक – दिनेश सिंगला।
9215199895