भजन बिना कैसे,
गवा दई ज़िंदगानी,
हेत किया ना हरि से तूने,
करता रहा मनमानी,
भजन बिना कैसें,
गवा दई ज़िंदगानी।।
गर्भवास में जब तू आया,
प्रभु से क्या क्या अर्ज़ सुनाया,
हाथ जोड़कर कसमे खाई,
अब न करब शैतानी,
भजन बिना कैसें,
गवा दई ज़िंदगानी।।
सुनी प्रभु ने तोरी अरजिया,
भूल गया मालिक की खबरिया,
पाप की सर पर लादे गठरी,
फिरता रहा अभिमानी,
भजन बिना कैसें,
गवा दई ज़िंदगानी।।
परहित कर कुछ पूण्य कमाले,
मानुष तन का लाभ उठाले,
रिखीराम प्रभु के गुण गाले,
बीती जाए जवानी,
भजन बिना कैसें,
गवा दई ज़िंदगानी।।
भजन बिना कैसे,
गवा दई ज़िंदगानी,
हेत किया ना हरि से तूने,
करता रहा मनमानी,
भजन बिना कैसें,
गवा दई ज़िंदगानी।।
गायक / प्रेषक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।