ऐसे सतगुरु मिले लाखों सूर्य उगे भजन लिरिक्स

ऐसे सतगुरु मिले,
लाखों सूर्य उगे,
उनका सतसंग सुनाना,
गजब हो गया।।



अंदर बाजा भी है,

बजाने वाला भी है,
उनका अनहद बजाना,
गजब हो गया,
ऐसे सतगुरु मिलें,
लाखों सूर्य उगे,
उनका सतसंग सुनाना,
गजब हो गया।।



अंदर गंगा भी है,

अंदर यमुना भी है,
मेरा संगम में नहाना,
गजब हो गया,
ऐसे सतगुरु मिलें,
लाखों सूर्य उगे,
उनका सतसंग सुनाना,
गजब हो गया।।



अंदर दीपक भी है,

अंदर बाती भी है,
आत्म ज्योति जगाना,
गजब हो गया,
ऐसे सतगुरु मिलें,
लाखों सूर्य उगे,
उनका सतसंग सुनाना,
गजब हो गया।।



ठोकरें खा रहा था,

दुनिया की राह में,
उनका अपना बनाना,
गजब हो गया,
गजब हो गया,
ऐसे सतगुरु मिलें,
लाखों सूर्य उगे,
उनका सतसंग सुनाना,
गजब हो गया।।



ऐसे सतगुरु मिले,

लाखों सूर्य उगे,
उनका सतसंग सुनाना,
गजब हो गया।।

स्वर – संत श्री अमृतराम जी महाराज।
Upload by – keshav


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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