इस दुनिया में सुंदर सुंदर,
फूल खिलाने वाला,
तरह तरह की कठपुतली को,
नाच नचाने वाला,
बोलो कौन है,
बोलो बोलो कौन है,
सबकुछ करता रहता,
फिर भी मौन है,
बोलो कौन है,
बोलो बोलो कौन है।।
कभी ध्यान सागर में जाता,
कितना जल ठहराया,
उसके ऊपर गेंद बनाकर,
भूमंडल को बसाया,
उसे तराने वाला,
सारी सृष्टि रचाने वाला,
बोलो कौन है,
बोलो बोलो कौन है।।
नीलगगन में जगमग जगमग,
चमके चाँद सितारे,
बिना सड़क के दौड़ा जाता,
सूरज का रथ प्यारे,
उसे भगाने वाला,
सारे नियम चलाने वाला,
बोलो कौन है,
बोलो बोलो कौन है।।
कलम रुकी बुद्धि चकराई,
देख हरि की माया,
पंकज में से ब्रह्मा निकले,
कण कण ब्रह्म समाया,
कभी हंसाने वाला,
कभी रुलाने वाला,
बोलो कौन है,
बोलो बोलो कौन है।।
इस दुनिया में सुंदर सुंदर,
फूल खिलाने वाला,
तरह तरह की कठपुतली को,
नाच नचाने वाला,
बोलो कौन है,
बोलो बोलो कौन है,
सबकुछ करता रहता,
फिर भी मौन है,
बोलो कौन है,
बोलो बोलो कौन है।।
स्वर – पं. मनीष गौतम शास्त्री।
9981109023