मैं भी बोलूं राम तुम भी बोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना।bd।
तू मृत्यु लोक में आया,
तुने राम नाम नहीं गाया,
दुनिया को अपना बनाया,
यूँ माया में भरमाया,
अब तो बोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना,
मैं भी बोलु राम तुम भी बोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना।bd।
श्री राम की शरण में आजा,
क्यों दुनिया के पीछे भागे,
जरा बैठ के ध्यान लगाले,
अब सुन तो ले अभागे,
दर दर डोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना,
मैं भी बोलु राम तुम भी बोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना।bd।
तुने मनुष्य तन तो पाया,
विषयो में यू हीं गवाया,
मिठा है यह अमृत सा,
संतो ने स्वाद बताया,
तो रसमय होलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना,
मैं भी बोलु राम तुम भी बोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना।bd।
मैं भी बोलूं राम तुम भी बोलो ना,
राम है अनमोल मुख को खोलो ना।bd।
स्वर – श्री अमृतराम जी महाराज।
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