रुणिचा बुलाले रे बाबा,
मेला में बुलाले,
थाकी वो सूरत की ओलू आवे,
ओ अजमल जी रा कंवरा,
आवे वो रुणिचा वाला,
मेला में बुला ले।।
भादूड़ा महीना में रे बाबा,
जरमर इंदर बरसे,
जरमर की लहरा में रे नहाता,
आवा रे अजमल जी रा कवरा,
आवा रे मैनादे रा लाला,
मेला में बुला ले।।
गेला रे गेला में रे बाबा,
लागया रे भंडारा,
भंडारा में डीजे उपर,
नाचा रे अजमल जी रा कवरा,
नाचा रे रूणिचा वाला,
मेला में बुला ले।।
मारवाड ध्यावे रे बाबा,
गुजरात भी ध्यावे,
दर्शन की इच्छा मन में,
लागी रे रूणिचा वाला,
लागी रे अजमल जी रा कवरा,
मेला में बुला ले।।
कपड़ा रो गोडलियो बाबा,
झंडी लेता आवा,
झंडी ने लहराता रे पेदल,
आवा रे रूणिचा वाला,
आवा रे अजमल जी रा कवरा,
मेला में बुला ले।।
पुर नगरी को कैलाश मेवाड़ी,
थाका ही गुण गावे,
पेदल पेदल आवे बाबा,
शीश नवावे,
परदीप भाई को म्यूजिक प्यारो,
लागे वो अजमल जी रा कवरा,
लागे वो रूणिचा वाला,
मेला में बुला ले।।
रुणिचा बुलाले रे बाबा,
मेला में बुलाले,
थाकी वो सूरत की ओलू आवे,
ओ अजमल जी रा कंवरा,
आवे वो रुणिचा वाला,
मेला में बुला ले।।
Singer – Kailash Mewari