जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की बहती अविरल धारा लिरिक्स

जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की,
बहती अविरल धारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा,
जिनके त्रिनेत्र ने कामदेव को,
एक ही पल मारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा।।

तर्ज – जहाँ डाल डाल पर।



भीक्षुक बनकर डोले वन वन वो,

विषवेम्बी कहलाए,
देवों को दे अमृत घट वो,
खुद काल कुट पि जाए,
खुद काल कुट पि जाए,
नर मुंडो कि माला को जिसने,
अपने तन पर धारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा।।



विषधर सर्पों को धारण कर,

रखा है अपने तन पर,
दीनों के बंधु दया सदा,
करते है अपने जन पर,
करते है अपने जन पर,
देते हे उनको सदा सहारा,
जिसने उन्हें पुकारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा।।



राघव की अनुपम भक्ति जिनके,

जीवन की आशाएं,
सतसंग रुपी सुमनों से,
सारी धरती को महकाए,
सारी धरती को महकाए,
ज्ञानी भी जिनकी गूढ़ महिमा का,
पा ना सके किनारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा।।



जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की,

बहती अविरल धारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा,
जिनके त्रिनेत्र ने कामदेव को,
एक ही पल मारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा,
अभिनन्दन उन्हें हमारा।।

प्रेषक – आशुतोष त्रिवेदी।
7869697758


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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