थारी याद घणेरी आवै भक्तां नै क्यूं तरसावै लिरिक्स

थारी याद घणेरी आवै,
भक्तां नै क्यूं तरसावै।।

तर्ज – मेरा छोटा सा परिवार।



थांरी याद मं हिवड़ो तरसै है,

म्हारी आंख्यां झुर-झुर बरसै है,
प्रभु रात्यूं नीन्द न आवै,
भक्तां नै क्यूं तरसावै।।



क्यूं इतणो प्रेम बढायो थो,

म्हानै सब्ज बाग दिखलायो थो,
इब क्यूं न प्रेम निभावै,
भक्तां नै क्यूं तरसावै।।



यदि आणो जाणो बण्यो रवै,

यो प्रेम परस्पर घुळ्यो रवै,
ई मं थांरो के घट ज्यावै,
भक्तां नै क्यूं तरसावै।।



तूं बीच बीच मं आया कर,

म्हानै भी श्याम बुलाया कर,
तनै “बिन्नू” के समझावै,
भक्तां नै क्यूं तरसावै।।



थारी याद घणेरी आवै,

भक्तां नै क्यूं तरसावै।।

प्रेषक – विवेक अग्रवाळ।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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