हंसा चेतकर चाली म्हारा बीर आखिर में हंसा जावणो लिरिक्स

हंसा चेतकर चाली म्हारा बीर,
आखिर में हंसा जावणो।।



दोहा – कहे संत सगराम,

धणी सुन रे माया रा,
कर सुकरत भज राम,
भला दिन आया थारा।
दिन थारा आया भला,
चूक मती इन बार,
धन धरियो रह जावसी,
तनड़ों होसी छार।
तनड़ों हो जासी छार,
धोय कर भहती धारा,
कहे सन्त संगराम,
धणी सुण रे माया रा।
बुरो प्रीत को पंथ,
बुरो जंगल को वासो,
बुरी सूम की सेव,
बुरो मूर्ख संग हासो।
बुरो नीच संग नेह,
बुरो भगनी घर भाई,
बुरो दुष्ट को साथ,
सासू घर बुरो जवाई।
बुरो पेट पम्पाल हैं जी,
बुरो रण से भागणो,
बेताल कहे सुण विक्रमा,
सबसे बुरो हैं माँगणो।
राजा से द्रोह बुरो,
कुपात्र से मोह बुरो,
विरहण को बिछोह बुरो,
कैसे तरशात है।
कपटी को संग बुरो,
जबरे से जंग बुरो,
विधवा परसंग बुरो,
ज्यासे मूर्ख हर्षात हैं।
कपटी से नेह बुरो,
सतगुरु से स्नेह बुरो,
फागण को मेह बुरो,
जैसे बरसात हैं।
मंगतू कहे दर्द बुरो,
ताप माही शरद बुरो,
जबान बिना मर्द बुरो,
जो किसी के मन नहीं भात हैं।



हंसा चेतकर चाली म्हारा बीर,

आखिर में हंसा जावणो।।



नदी किनारे रुखड़ो रे,

जद कद होवे विनाश,
राम नाम रो सुमिरन करले,
होसी थारो अमरापुर में वास,
हँसा चेतकर चाली म्हारा बीर,
आखिर में हंसा जावणो।।



एक दिन ऐड़ो चोर आवेला,

करे गजब री चोरी,
प्राण प्यारा निकल जावेला रे,
काया रह जावेली कोरी,
हँसा चेतकर चाली म्हारा बीर,
आखिर में हंसा जावणो।।



कागद के रो डुंडियो रे,

पार लगयो ना जाय,
क्यूँ गाफल में सोय रह्यो रे,
सत री संगत में क्यूँ ना आय,
हँसा चेतकर चाली म्हारा बीर,
आखिर में हंसा जावणो।।



मात पिता ए कुटुंब कबीला,

स्वार्थ री सब रीत,
कहत कबीर सुणो भाई साधो,
सब हैं लोक लाज री प्रीत,
हँसा चेतकर चाली म्हारा बीर,
आखिर में हंसा जावणो।।



हँसा चेतकर चाली म्हारा भीर,

आखिर में हंसा जावणो।।

गायक – श्री प्रेमदान जी चारण।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052


Previous articleओ मेरे बाबा रूणिचा के बाबा भजन लिरिक्स
Next articleवो कौन सी जगह जो मेरे श्याम की नहीं लिरिक्स
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here