सतगुरु से डोर अपनी क्यूँ ना बावरे लगाए भजन लिरिक्स

सतगुरु से डोर अपनी,
क्यूँ ना बावरे लगाए,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।।

तर्ज – मुझे इश्क़ है तुझी से


दो दिन का है तमाशा,
ये तेरी जिंदगानी,
पानी का है बताशा,
पगले तेरी कहानी,
अनमोल जिंदगी को,
क्यों मुफ्त में गवाएं,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।

सतगुर से डोर अपनी,
क्यूँ ना बावरे लगाए,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।।


कल का बहाना करके,
तूने जिंदगी बिताई,
बचपन जवानी बीती,
बुढ़ापे की रुत है आई,
अब भी तू जाग बन्दे,
मौका निकल ना जाये,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।।

सतगुर से डोर अपनी,
क्यूँ ना बावरे लगाए,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।।


आये है लोग कितने,
आकर चले गए है,
कारून के जैसे कितने,
सिकंदर चले गए है,
माया महल खजाने,
ना साथ ले जा पाए,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।।


सतगुरु से डोर अपनी,
क्यूँ ना बावरे लगाए,
ये सांस तेरी बन्दे,
फिर आये या ना आये।।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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