बाबोसा के चरणों में,
खुशियों का डेरा है,
इनके द्वारे चारो ओर,
देखो परियों का पहरा है,
बाबोसा के चरणों मे,
खुशियों का डेरा है।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा है।
जहाँ स्वर्ग सी मस्ती है,
वो चुरू की धरती है,
इस दर पे हवाएं भी,
बड़े अदब से चलती है,
हरियाली मन मोहे,
लागे अम्बर सुनहरा है,
इनके द्वारे चारो ओर,
देखो परियों का पहरा है,
बाबोसा के चरणों मे,
खुशियों का डेरा है।।
जिस धरती पे आने को,
देव देवी तरसते है,
इस कलयुग में जिसको,
चुरूधाम कहते है,
इस धरती के कण कण में,
बाबा का बसेरा है,
इनके द्वारे चारो ओर,
देखो परियों का पहरा है,
बाबोसा के चरणों मे,
खुशियों का डेरा है।।
श्री बाबोसा के द्वारे,
एक बार जो जाता है,
दुनिया को भूल के ‘धर्म’,
इनका हो जाता है,
‘दिलबर’ इनका रिश्ता,
सागर से भी गहरा है,
इनके द्वारे चारो ओर,
देखो परियों का पहरा है,
बाबोसा के चरणों मे,
खुशियों का डेरा है।।
बाबोसा के चरणों में,
खुशियों का डेरा है,
इनके द्वारे चारो ओर,
देखो परियों का पहरा है,
बाबोसा के चरणों मे,
खुशियों का डेरा है।।
गायक – धर्मेन्द्र जैन।
रचनाकार – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’।
नागदा जक्शन, म.प्र. 9907023365