अगर है ज्ञान को पाना,
तो गुरु की जा शरण भाई।।
जटा सिर पर रखाने से,
भस्म तन में रमाने से,
सदा फल फूल खाने से,
कभी नहीं मुक्ति हो पाई,
अगर हो ज्ञान को पाना,
तो गुरु की जा शरण भाई।।
बने मूरत पुजारी है,
तीरथ यात्रा पियारी है,
करे व्रत नेम भारी है,
भरम मन का मिटे नाही,
अगर हो ज्ञान को पाना,
तो गुरु की जा शरण भाई।।
कोटि सूरज से सितारा,
करे प्रकाश मिल सारा,
बिना गुरु घोर अँधियारा,
ना प्रभु का रूप दर्शाये,
अगर हो ज्ञान को पाना,
तो गुरु की जा शरण भाई।।
ईश सम जान गुरुदेवा,
लगा तन मन करो सेवा,
ब्रम्हानंद मोक्ष मेवा,
मिले भव बंध कट जाये,
अगर है ज्ञान को पाना,
तो गुरु की जा शरण भाई।।