हे गुरुदेव आपको क्या दूँ वस्तु मैं उपहार में लिरिक्स

हे गुरुदेव आपको क्या दूँ,
वस्तु मैं उपहार में।

दोहा – गुरु गोविन्द एक ही रूप सदा,
नहिं द्वैत का नाम निसान रहा,
गुरु रूप से मार्ग दिखाय दिया,
और गोविन्द रूप हिय में बसा।
सुख मूल सदा भरपूर भरा,
नहि अस्त उदय का भान रहा,
निजानन्द मिला गुरु की कृपा,
अनुभव नित्य ‘कमल’ खिला ही रहा।



हे गुरुदेव आपको क्या दूँ,

वस्तु मैं उपहार में,
मगन हुई हूं भगवान मैं तो,
आपके उपकार में।।



जो उपकार किये गुरु मुझपे,

तनिक नहीं बिसराऊंजी,
अपने तनकी मृगछालाकर,
चरणोमांहि बिछाऊंजी,
बदला नहीं चुका सकती में,
लाखों ही अवतार में,
मगन हुई हूं भगवान मैं तो,
आपके उपकार में।।



तन मन प्राण पंचभूतों का,

तीनो ही गुण संगा जी,
धन जन धाम ससृत होवें,
जैसे बहती गंगा जी,
पांचों इन्द्रिय अन्तःकरण संग,
मेरा क्या संसार में,
मगन हुई हूं भगवान मैं तो,
आपके उपकार में।।



विकृत में को दूर हटाकर,

आतम की में दीनी जी,
अस्थि भांति प्रिय सागरमांही,
सच्चीनिष्ठा कीनीजी,
दीन हीनता हर सारी,
पूरणता दई विचार में,
मगन हुई हूं भगवान मैं तो,
आपके उपकार में।।



दूर किया अज्ञान अंधेरा,

हृदय चिराग जला करके,
सभी दुखों का अन्त हो गया,
संग आपका पाकर के,
द्वैतभाव तज ‘कमलेश्वर’,
अब मग्न है अपने आप में,
मगन हुई हूं भगवान मैं तो,
आपके उपकार में।।



हे गुरुदेव आपको क्या दूं,

वस्तु मैं उपहार में,
मगन हुई हूं भगवान मैं तो,
आपके उपकार में।।

गायक / प्रेषक – सांवरिया निवाई।
संपर्क – 7014827014


Previous articleकैसे भूलूंगा मैया मैं तेरा उपकार भजन लिरिक्स
Next articleचिंतन हो सदा मेरे मन में तेरा चरणों में तेरे मेरा ध्यान रहे लिरिक्स
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here