जब जब तेरी चौखट पे,
कोई नीर बहाता है,
उस प्रेम में ऐ कान्हा,
तू भी बह जाता है।।
तेरे मित्र सुदामा जी,
तुझे मिलने आए थे,
आंसू से प्रभु तुमने,
फिर चरण धुलाये थे,
भक्तों के अश्कों का,
यूँ मोल चुकाता है,
जब जब तेरी चोखट पे,
कोई नीर बहाता है।।
नरसी ने प्रभु तुझ पर,
विश्वास किया भारी,
उस भगत की हुंडी तो,
तूने ही स्वीकारी,
बन नानी का भाई,
तू धीर बंधाता है,
जब जब तेरी चोखट पे,
कोई नीर बहाता है।।
मीरा के अश्कों में,
तेरी प्रेम कहानी थी,
तू उसका दीवाना था,
वह तेरी दीवानी थी,
तू जहर के प्याले को,
अमृत कर जाता है,
जब जब तेरी चोखट पे,
कोई नीर बहाता है।।
जब हार के ‘रोमी’ भी,
कुछ कह नहीं पाता है,
वह भी तेरे चरणों में,
आंसू ही बहाता है,
हर बार तू आकर के,
उम्मीद जगाता है,
जब जब तेरी चोखट पे,
कोई नीर बहाता है।।
जब जब तेरी चौखट पे,
कोई नीर बहाता है,
उस प्रेम में ऐ कान्हा,
तू भी बह जाता है।।
Singer – Sheetal Pandey Ji