मेरे श्याम दा दरबार,
प्यारा लगता
खाटू वाले श्याम दा,
दरबार प्यारा लगता।।
तर्ज – खाली दिल नइयो।
हारो का सहारा,
बाबा श्याम हमारा है,
तीन बाण धारी वो तो,
लीले घोड़े वाला है,
लीले घोड़े का,
असवार प्यारा लगता,
खाटू वालें श्याम दा,
दरबार प्यारा लगता।।
कानों में कुंडल सिर,
मुकुट विशाला है,
अधर पर मुरली गले,
वैजयंती माला है,
तन केसरिया बागा,
प्यारा लगता,
खाटू वालें श्याम दा,
दरबार प्यारा लगता।।
‘व्यास हरि’ तोहरी,
आरती उतारे है,
निरख निरख छवि,
तन मन वारे है,
खाटू धाम दा सरकार,
प्यारा लगता,
खाटू वालें श्याम दा,
दरबार प्यारा लगता।।
मेरे श्याम दा दरबार,
प्यारा लगता
खाटू वाले श्याम दा,
दरबार प्यारा लगता।।
लेखक/गायक – महंत हरि भैया।
8819921122