मत मांगो यह वचन रानी,
मेरे प्राण चले जाये,
होये अयोध्या अनाथ आज,
मेरे राम चले जाये।।
करी तपस्या गौर राजा ने,
पायो एक वरदान,
पुत्र रूप में प्रकट भये,
जग के तारण हार,
मत माँगो यह वचन रानी,
मेरे प्राण चले जाये।।
छोटा था माँ लाड लड़ाया,
ऊँगली पकड़ राजा ने चलाया,
कहो अब कैसे कहूंगा,
वन को जाओ राम,
मत माँगो यह वचन रानी,
मेरे प्राण चले जाये।।
वन राम जाये लक्मण जाये,
जाये जानकी आज,
हो चली आयोध्या अनाथ,
आज मेरे राम चले जाये,
मत माँगो यह वचन रानी,
मेरे प्राण चले जाये।।
जीवन का अंतिम समय है,
मान लो मेरी बात,
बिन राम के नहीं रहूँगा,
छोड़ चलू अब प्राण,
मत माँगो यह वचन रानी,
मेरे प्राण चले जाये।।
भगत धरम ये कहता हे भाई,
सुन लो ये निज नाम,
बिन राम के पार न करसि,
भव सागर से पार,
मत माँगो यह वचन रानी,
मेरे प्राण चले जाये।।
मत मांगो यह वचन रानी,
मेरे प्राण चले जाये,
होये अयोध्या अनाथ आज,
मेरे राम चले जाये।।
गायक और लेखक – धर्मेंद्र तंवर।
मोबाइल न. ९८२९२०२५६९