वह घर सतगुरु क्यों नहीं बताओ देसी भजन लिरिक्स

वह घर सतगुरु,
क्यों नहीं बताओ,
जीव कहां से आया है रे,
काया ने छोड़ जावे जब हंसो,
कहो नि कठे समाया वो,
वो घर सतगुरु,
क्यों नहीं बताओ।।



मैं मेरी ममता के कारण,

बार-बार ठग आया वे,
समझ ना पड़ी मेरे गुरु गम की,
ताते फेर भटकाया वे,
वो घर सतगुरु,
क्यों नहीं बताओ।।



राजा विरज दोनों ही नहीं होता,

जब जीव कहा समाया वे,
ब्रह्मा महेश विष्णु जब नहीं होता,
आदि नही होती माया वे,
वो घर सतगुरु,
क्यों नहीं बताओ।।



चांद सूरज दिवस नही रजनी,

जहाँ जाय मठ छाया वे,
सूरत सवाघन पिव पलौटे,
पिव अपना ही पाया वे,
वो घर सतगुरु,
क्यों नहीं बताओ।।



मेरी प्रीति राम से लागी,

उलट निरजन ढैय्या वे,
कहत कबीर सुनो भाई संतो,
पर ही पर बताया वे,
वो घर सतगुरु,
क्यों नहीं बताओ।।



वह घर सतगुरु,

क्यों नहीं बताओ,
जीव कहां से आया है रे,
काया ने छोड़ जावे जब हंसो,
कहो नि कठे समाया वो,
वो घर सतगुरु,
क्यों नहीं बताओ।।

स्वर – मोहनदासजी महाराज।
प्रेषक – राजश्री बिशनोई कुड़छी।
9414941629


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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