मुझे श्याम सुंदर सुघर चाहियेगा भजन लिरिक्स

मुझे श्याम सुंदर सुघर चाहियेगा,
जिधर फेरूं नज़रे उधर चाहियेगा।।



जो सारे जगत का पिता,

आसमा भी है जिसेसे टिका,
करे जग का पालन,
जो हर जीव जग का,
वही एक परमात्मा,
मुझे बस वही मुरलीधर चाहियेगा,
जिधर फेरूं नज़रे उधर चाहियेगा।।



जिसने है सब जग रचा,

खिलोने अनेको बना,
सांसो की चाबी से,
सबको नचाये,
वो है मदारी बड़ा,
मुझको वही चक्रधर चाहियेगा,
जिधर फेरूं नज़रे उधर चाहियेगा।।



जिसके लिए तन धरे,

कई बार जन्मे मरे,
पाने की चाहत में,
आये गए हम,
पर न उसे पा सके,
मुझे बस वही गिरिवरधर चाहियेगा,
जिधर फेरूं नज़रे उधर चाहियेगा।।



जतन जितने करने पड़े,

पा के रहेंगे तुझे,
अबकी न हमसे बचोगे प्रभु,
तुम यतन चाहे जितने करो,
‘राजेन्द्र’ को राधावर चाहिएगा,
जिधर फेरूं नज़रे उधर चाहियेगा।।



मुझे श्याम सुंदर सुघर चाहियेगा,

जिधर फेरूं नज़रे उधर चाहियेगा।।

गीतकार / गायक – राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
8839262340


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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