ओ श्याम अगर दिन रात,
तुम यूँ ही चले मेरे साथ,
ना होगी हार मेरी,
ना होंगी हार मेरी,
चाहे जैसे हो हालात,
तुम खड़े रहे जो साथ,
ना होंगी हार मेरी,
ना होंगी हार मेरी।।
मेरी अर्ज़ी लगी होगी,
चरणों में रखी होगी,
श्री श्याम प्रभु तुमने,
थोड़ी तो पढ़ी होगी,
लेलो दीनो के नाथ,
मेरे फैसले अपने हाथ,
ना होंगी हार मेरी,
ना होंगी हार मेरी।।
है तेरे हाथों में,
मेरा आना वाला कल,
तेरी मर्ज़ी पर है,
मेरे सुख के हर पल,
तुम थामे रहना हाथ,
और देते रहे सौगात,
ना होंगी हार मेरी,
ना होंगी हार मेरी।।
इन आँखों के दर्पण,
अश्कों से धोते थे,
हम जब भी होते थे,
तनहा ही होते थे,
‘जयंत’ है तेरा गुलाम,
‘पद्मा’ के बना दो काम,
ना होंगी हार मेरी,
ना होंगी हार मेरी।।
ओ श्याम अगर दिन रात,
तुम यूँ ही चले मेरे साथ,
ना होगी हार मेरी,
ना होंगी हार मेरी,
चाहे जैसे हो हालात,
तुम खड़े रहे जो साथ,
ना होंगी हार मेरी,
ना होंगी हार मेरी।।
Singer – Padma Sahu