सेठा को यो सेठ सांवरा,
म्हारे मन ने भायो,
म्हारे मन ने भायो,
ई दुनिया में बहुत सेठ,
यो जगत सेठ कहलायो,
म्हारे मन ने भायो,
म्हारे मन ने भायो।।
सारी दुनिया देखि पर ना,
श्याम सो बड़ा व्यापारी,
उसका करदे ठाठ है करली,
जिसने श्याम से यारी,
खुली तिजोरी सदा ही रखे,
तालों नहीं लगायो,
म्हारे मन ने भायो,
म्हारे मन ने भायो।।
वो का करदे चार सेठ यो,
श्याम जी खाटू वालो,
मन को गोरो नहीं कोई इनसो,
बेशक तन को कालो,
मौज होवे उसकी जिसने,
खाते में नाम लिखायो,
म्हारे मन ने भायो,
म्हारे मन ने भायो।।
सांवरिया ने कोई भी अपना,
हिस्सेदार बना ले,
शीश का दानी मुंह माँगा दे,
जो चाहे सो पा ले,
मालामाल करे उसने,
जिसपे यो कर दे सायो,
म्हारे मन ने भायो,
म्हारे मन ने भायो।।
द्वारे पर जो भी जावे है,
झोली भर दे खाली,
‘श्याम सुन्दर’ और ‘लख्खा’ की मेटि,
इसने ही कंगाली,
के राजा के रंक सभी ने,
श्याम को ही गुण गायो,
Bhajan Diary Lyrics,
म्हारे मन ने भायो,
म्हारे मन ने भायो।।
सेठा को यो सेठ सांवरा,
म्हारे मन ने भायो,
म्हारे मन ने भायो,
ई दुनिया में बहुत सेठ,
यो जगत सेठ कहलायो,
म्हारे मन ने भायो,
म्हारे मन ने भायो।।
स्वर – श्री लखबीर सिंह लख्खा जी।