कितने महान दाता,
कितने महान दानी,
कितने महान दानी है ये,
खाटु वाले श्याम,
भक्तो को दिया करते है,
जो मुँह माँगा वरदान,
भक्तो को दिया करते है,
जो मुँह माँगा वरदान।।
तर्ज – कितना हसीन चेहरा
जो अर्ज करो वो दान मिले,
धन माल खजाना मान मिले,
जिसकी जो इक्छा वो पाए,
कोई लोट के खाली ना जाये,
कोई श्याम सा ना है दाता,
कोई श्याम सा ना है दानी,
जपते है हमेशा जिनको,
सारी दुनिया के प्राणी,
जग में उनके जैसा,
है कोई नहीं धनवान,
भक्तो को दिया करते है,
जो मुँह माँगा वरदान।।
कोई हुक्म ना उनका टाल सके,
कोई बैर ना उनसे पाल सके,
जिसे देख के काल भी घबराये,
भूमण्डल डर से थर्राये,
वो है सारे जग के मालिक,
है राजाओ के राजा,
दिन रात खुला रखते है,
भक्तो के लिए दरवाजा,
जिनका गुण गाते है,
ये पंडित चतुर सुजान,
भक्तो को दिया करते है,
जो मुँह माँगा वरदान।।
वो ही सबका बेडा पार करे,
जग जिनकी जय जयकार करे,
कोई रूप को उनके क्या पाए,
जिसे देख के चंदा शर्माए,
वो मोर मुकुट सर धारे,
पहने वैजन्ती माला,
जिसे देख के बल बल जाये,
सारे ब्रज की ब्रजबाला,
करता सदा है ‘शर्मा’,
जिनके चरणों का ध्यान,
भक्तो को दिया करते है,
जो मुँह माँगा वरदान।।
कितने महान दाता,
कितने महान दानी,
कितने महान दानी है ये,
खाटु वाले श्याम,
भक्तो को दिया करते है,
जो मुँह माँगा वरदान,
भक्तो को दिया करते है,
जो मुँह माँगा वरदान।।