राधा रानी राधा रानी,
तुम हो ब्रज की महारानी,
तुम हों ब्रज की महारानी।।
पल पल तेरा ध्यान लगाऊं,
नित्य नित्य तेरा दर्शन पाऊं,
महिमा तेरी मानी,
महिमा तेरी मानी,
राधा रानी राधा रानी,
तुम हों ब्रज की महारानी।।
रसिक जनों की तुम सेव्य हो,
ऋषि मुनियों की तुम देव्य हो,
कृष्ण की हो अल हादनी,
कृष्ण की हो अल हादनी,
राधा रानी राधा रानी,
तुम हों ब्रज की महारानी।।
अचेत मन में तुम चेतन हो,
देह में तुम आत्म धन हो,
तुम हो रास विहारिणी,
तुम हो रास विहारिणी,
राधा रानी राधा रानी,
तुम हों ब्रज की महारानी।।
राधे राधे जो कोई गावे,
भवसागर से वो तर जावे,
तुम हो भव तारणी,
तुम हो भव तारणी,
राधा रानी राधा रानी,
तुम हों ब्रज की महारानी।।
राधा रानी राधा रानी,
तुम हो ब्रज की महारानी,
तुम हों ब्रज की महारानी।।
स्वर – श्री मृदुलकृष्ण जी शास्त्री।
प्रेषक – ऋषि कुमार विजयवर्गीय।
7000073009