थारा भारत में गाया क्यों कटे,
गोवर्धन धारी रे थारा भारत में।।
राग – कुचामण।
मथुरा में कान्हा जन्म लियो,
तुम गोकुल गाय चराई,
वह गाय का बछड़ा बछड़ी,
आज रेला भर भर जाए,
दिन उग्या दिन आत्या पहेली,
वाका प्राण पलक हो जाए,
गोवर्धन धारी रे।।
गाय ऊंट गधेड़ा घोड़ा,
भेस्या बकरी भेड़,
या सभी को क़त्ल हो रयो,
हैडा उपर हेड,
मछलियां की मशीन बनी है,
वठे गाडो मचरियो गेड रे,
गोवर्धन धारी रे।।
गाय कटे गिरधारी रे,
आज अड्डा ऊपर आए,
ई देव भूमि पर राक्षस बनकर,
यह मनक मांस क्यों खाए,
थारे बिना बनवारी इनकी,
कौन करे सहाय,
गोवर्धन धारी रे।।
धर विष्णु अवतार,
समुद्र मथ दीया,
14 रतन निकाल,
देव दानवा में झगड़ों मच गया,
भारी पड़ी जपाड़,
गणेश कहे धर रूप मोहिनी,
दिया न्यारा न्यारा बाट रे,
गोवर्धन धारी रे।।
थारा भारत में गाया क्यों कटे,
गोवर्धन धारी रे थारा भारत में।।
गायक – रामप्रसाद वैष्णव।
प्रेषक भैरु शंकर शर्मा।
+919549545464