थारे बधावे आई ओ रामदेव मायले में घणी उमाई

थारे बधावे आई ओ रामदेव,
मायले में घणी उमाई,
बीरो म्हारो पर उपकारी,
कमियन राखे कांई,
परणीजे त्रिभुवन रो राजा जणो,
जुग में जोत सवाई।।



गढ़ दिल्लड़ी रा तख्त पलटियां,

दिल्ली पोखण थाई,
घर तंवरा रे जामो पायो,
जणो गढ़ पूंगल परणाई।।



रत्ना राइका तोडड़ी सिणगारो,

पूंगलगढ़ ने जाई,
जाय पीड़ीहारो ने म्हारा,
केजो जवाहरड़ा,
थे बेगी लाजो बाई।।



उशरंग में आणेत आया,

घणे हरख हित माई,
उशरंग मे फेर उशरंग बीरा,
उठे बोले बाल अकाई।।



पुंगल रा परिवार रुसिया ने,

करगस दोय गुसाई।।
सैया केयो सिद् सवारो मोहरत पछे,
मै रथ माडे हकाई।।



पुंगल रा परिवार रुसिया,

ठाकुर ठूमर ठाई,
थारी गति बीरा थे ही जाणो,
मै तो अलख भरोसे आई।।




बरसो म्हारा गुदला बादल,

बरसो सवाया रे,
खोलो कड़ियों रो फेटो,
रालो रुपया जी,
बरसो रामदेव जी बाबा,
बरसो सवाया रे,
खोलो कड़ियों रो फेटो,
रालो रुपया जी,
बरसो थे हड़बु भाभा,
बरसो सवाया रे,
खोलो कड़ियों रो फेटो,
रालो रुपया जी।।



बरसो म्हारा पांचू पांडु,

बरसो सवाया रे,
खोलो कड़ियों रो फेटो,
रालो रुपया जी,
रुपयो म्हारो थाल भरिजे,
हीवड़ो उमायो रे।।



बरसो जती सती दादा,

बरसो सवाया ओ,
खोलो कड़ियों रो फेटो,
रालो रुपया जी,
लूम्ब् झूम ने तुरिया सिणगारो,
साइण्डिया करो सजाई,
हिल मिल सैया मंगल गाओ उठे,
पीर जी री जान चढ़ाई।।




मैं थाने पूछो म्हारे,

दूधली रा बनडा,
बैगे रा बुलाया,
मोड़ा किन विधि आया सा।।



हो जी ओ सैया,

म्हारे जोशी घर सू धर्मेलो,
लग्निया लिखावत बेला,
लाग गी ओ राज।।



म्हारे ने म्हारे ओ बाबा,

सोनी घर सू धर्मेलो,
गण लियो घड़ावत,
बेला लागी ओ राज।।



बालकियो लूंग सुणो म्हारी सैया,

आदत रेण अजाई,
ओखद वैध किनी घर जाऊँ पछे,
पोलियो मंगल कराई।।



होणी तो होवे म्हारा बीरा,

मेटि मिटे नी काँई,
जे मेटे कुल दीपक बीरो,
जको पंख दोनों पिराई।।



तोरण भीन्द बधाऊ घर आया,

सारी पर्ज सुणाई,
चढ़ती जान सुगणादे शामिल,
भलेे आरतिया उतराई।।



सज सिणगार सुहागन लाछा,

उठे भीन्द् बधावन आई,
बीरो केवे आ सुगणा नी आई,
आ किस विधि रीत रिझाई।।



चढ़ती जान सुगणादे शामिल,

भलेे आरतिया उतराई,
घर आयो रो मोरत मोरो,
पछे थे बहनो मै भाई।।



आया नहीं बाई मन में उणायत,

घर बैठो चित् चाई,
भीरे पण पायकडी मेली,
वटे बुद्दवन बहन बुलाई।।



मो आवन रो मोरत नहीं है भीरा,

ओ हट किनो कांई,
लाछा लिछमा करे आरती,
उठे माणका थाल भराई।।



होनी सो केणी जरणा जरणी,

तथा सूरत सम लाई.
कूड़ नहीं अपने कुल माही,
थोरी अटल जोत ईधकाई।।



सपने में भीरा हीरो लादो,

पछे खोटो माणस थाई,
जनत कियो बाबा जोर नी लागे,
आ मन में अरणाई।।



सपने तणा कैसा पद साँचा न,

सब जग सपने जाई,
सपने में बाई थाने हीरो लादो,
पछे फेर हीरो भण् जाई।।



सासरिये वे नणदा पदमणिया,

वे सर्व सुखी संघ माई,
मुख मोड़े ने मौसा बोले भीरा,
ओ दुःख सहयो न जाई।।



पर वाचा बाई पाछा वलिया,

ने घर होई हरख बधाई,
रीव आतंग उशरंग में उबो उठे,
कंवर सजीवण थाई।।



गज थट थाल माणका भरिया,

उठे फ़ूल फुरकना माई,
इंद्र री परिया संघ में लीनी,
उठे भीर बधावण आईं।।



तोरण भीन्द खलक थट थड़ियो,

हुक्म हुक्म सब आई,
मामे री सूरत मिली भाणेजे से,
माणको ई मूठ भराई।।



असली हीरो हद कीमत चढ़ियो,

बाई दिले अमोलक थाई,
असली हीरो बाई कीमत चढ़ियो,
थारे कुल में कमी न कांई।।



अटे उसरँग उठे उसरँग,

अठे उठे उसरंग थाई,
हरजी के गढ़ पुंगल उसरंग,
दे आशीषो बाई।।



थारे बधावे आई ओ रामदेव,

मायले में घणी उमाई,
बीरो म्हारो पर उपकारी,
कमियन राखे कांई,
परणीजे त्रिभुवन रो राजा जणो,
जुग में जोत सवाई।।

गायक – ओमसा पल्ली।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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