सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण में,
है काल भी तो हारा,
महाकाल की शरण मे,
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण मे।।
हो वक्त चाहे कैसा,
तुम हार नहीं जाना,
उज्जैन जाके दुख तुम,
महाकाल को सुनाना,
झुकता जहान सारा,
महाकाल की शरण मे,
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण मे।।
है मौत शिव की दासी,
भूत प्रेत शिव के चाकर,
चलता समय का पहिया,
आदेश शिव का पाकर,
किस्मत का चमके तारा,
महाकाल की शरण मे,
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण मे।।
शिप्रा के तट पर बैठे,
महाकाल मेरे राजा,
जीवन का सुख मिलेगा,
उज्जैन नगरी आजा,
रोशन शहर है जहां सारा,
महाकाल की शरण मे,
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण मे।।
है रूप जोगी वाला,
उनकी अजब है माया,
भक्तों का साथ शिव ने,
हर युग में है निभाया,
‘मंत्री’ को है सहारा,
महाकाल की शरण मे,
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण मे।।
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण में,
है काल भी तो हारा,
महाकाल की शरण मे,
सबको मिला सहारा,
महाकाल की शरण मे।।
गायक – द्वारका मंत्री देवास।
लेखक – जयंत सांखला।