भगत रे धरती पर संकट मिनखां कारणे भजन लिरिक्स

भगत रे धरती पर संकट मिनखां कारणे,
म्हे तो भेज्या सब ने देकर सुख संसार,
भगत रे कर्मा रा फल सूं सुख दुःख उपजे।।



भगत रे संकट जै चावो थे मैं मेट द्य़ूं,

पेड़, पहाड़ां,नदियाँ, जीवां रो करो मान,
भगत रे धरती प्रकृति म्हारो कालजो।।



भगत रे संकट जै चावो थे मैं मेट द्य़ूं,

चालो नेकी पर तज पाप, झूठ, अपराध,
भगत रे गाया, गरीबां में म्हारो आसरो।।



भगत रे इज्जत नारी, मायत री राखजे,

आं रा आंसूड़ा री मत ना लीजे हाय,
भगत रे नारी, मायत ही म्हारो धाम है।।



भगत रे कलयुग में जो कोई म्हारो नाम ले,

बांरी पीड़ा, संकट, हरणू म्हारो काम,
भगत रे दीन दुखी मै म्हने जाणजे।।



विधाता थारे बताए मारग चालस्यां,

थारे सरणागत हो कोल करे ‘सुभाष’,
विधाता तोड़ बतायो किरपा राखजे।।



भगत रे धरती पर संकट मिनखां कारणे,

म्हे तो भेज्या सब ने देकर सुख संसार,
भगत रे कर्मा रा फल सूं सुख दुःख उपजे।।

लेखक/प्रेषक – सुभाष चंद्र पारीक, जायल।
9784075304


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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