साई जागता है कब सोता है,
कब जागता है कब सोता है,
हम दर्द सभी का खोता है,
मालिक है तू कैसा मालिक है,
जग रोए तू भी रोता है,
कब जागता हैं कब सोता हैं,
हम दर्द सभी का खोता है।।
ना धन दौलत ना जागीरे,
कैसे तू बनाये तकदीरे,
जादू है या की करिश्मा है,
जादू है या की करिश्मा है,
रोता भी यहाँ खुश होता है,
कब जागता हैं कब सोता हैं,
हम दर्द सभी का खोता है।।
इंसा इंसा को काट रहा,
तू प्रेम संदेसा बाँट रहा,
चाहे मंदिर मस्जिद गुरुदवारा,
चाहे मंदिर मस्जिद गुरुदवारा,
मेरा साई सभी में होता है,
कब जागता हैं कब सोता हैं,
हम दर्द सभी का खोता है।।
बिछड़े ‘लहरी’ मिल जाते है,
मुरझाये चमन खिल जाते है,
कैसा है खजाना फकीरे का,
कैसा है खजाना फकीरे का,
लूटकर भी ना खाली होता है,
कब जागता हैं कब सोता हैं,
हम दर्द सभी का खोता है।।
साई जागता हैं कब सोता हैं,
कब जागता हैं कब सोता हैं,
हम दर्द सभी का खोता है,
मालिक है तू कैसा मालिक है,
जग रोए तू भी रोता है,
कब जागता हैं कब सोता हैं,
हम दर्द सभी का खोता है।।
स्वर – उमा लहरी जी।