अवसर आयो हाथा में,
जावे बातां बातां में,
थोड़ो भजले नी भगवान,
रे मन बावरिया।।
राम कृपा कीनी थारे पर,
नर तन चोलो दे दीनो,
मिनखा देही पाय के भी,
हरी भजन तूं ना कीनो,
सुख सूं सोयो रातां में,
दिनड़ा खोया खाबा में,
थारा होसी भूंडा हाल,
रे मन बावरिया।।
जोबन और जवानी में तूं,
अकड्यो फिरे मती भाया,
एक दिन आ ढल ज्याय जवानी,
बूढ़ी होसी आ काया,
थारे जोर रेवे नहीं हाथां में,
जोत रेवे नहीं आंख्या में,
थारे सळां भरेली खाल,
रे मन बावरिया।।
कुबेर ने भी मात करणियां,
बड़ा बड़ा धनवान हुया,
तीन लोक पर राज करणियां,
बड़ा बड़ा बलवान हुया,
कैलाश उठा लियो हाथां में,
रावण बातां बातां में,
बिन पकड़ ले गयो काळ,
रे मन बावरिया।।
चेत सखे तो चेतज्या प्राणी,
ओ अवसर नहीं आवेला,
ओ अवसर जो चूक गयो तो,
पछे घणो पछतावेला,
थारा धर्म कर्म देख खाता में,
मारेला मुगदर माथा में,
क्यूँ नरक कुंड में जाय,
रे मन बावरिया।।
अवसर आयो हाथा में,
जावे बातां बातां में,
थोड़ो भजले नी भगवान,
रे मन बावरिया।।
गायक / प्रेषक – सुभाष चंद्र पारीक।
9784075304